म्युचुअल फण्ड क्या होता है

 










□ निवेश का अच्छा तरीका। इक्विटी में जितना जोखिम उतना ही म्युचुअल फण्ड में भी।

 □ यदि आपको बाजार के उत्तार-चढाव की जानकारी नहीं है तो आपके लिये इक्विटी की तुलना में म्युचुअल फण्ड बेहतर विकल्प है।

इक्विटी में जोखिम 

■ फिजिकल ट्रेडिग के अन्तर्गत खराब डिलीवरी का होता है।

 ■ सावधानी बरतने की जरूरत होती है। [ ऐसी कम्पनियों में निवेश से बचचे जिसका बाजार व्यापक प्रभाव नही होता फिर भी अच्छा वैल्यूएशन दिखाकर निवेशकों को आकर्षित करते हैं 

■ ऐसी कम्पनियों से भी बचना जरूरी है जो अपन नीतियों में बार-बार बदलाव करती है।

क्या होता है पब्लिक ऑफर 

पब्लिक ऑफर दो तरह के होते है - 

1. आई०पी०ओ० 

2. एफ०पी०ओ० 

आई.पी.ओ. अर्थात इनीशियल पब्लिक ऑफर का अभिप्राय -जब कोई अनलिस्टेड कम्पनी पहली बार कैपिटल मार्केट में आती है पहली बार पूजी रज करती है तो उसे आई.पी.ओ. कहते हैं।

एफ.पी.ओ. अर्थात् फॉलोऑन पब्लिक ऑफर का अभिप्राय - जब कोई लिस्टेड कम्पनी दुबारा पब्लिक इश्यू लेकर आती है तो उसे एफ.पी.ओ. कहते हैं। इसी प्रकार यदि वह राइट इश्यू लेकर आयेगी तो उसे राइट ऑफरिंग कहगे। यदि यह जी०डी०आर० लेकर आयेगी तो उसे जी०डी०आर० ऑफरिंग कहेंगे। आईपी.ओ. के अन्तर्गत जो प्राइस डिस्कवरी होती है वह सही मायनों में लिस्टिंग के बाद होती है। मगर-एफ.पी.ओ. के अन्तर्गत प्राइस डिस्कवरी नहीं होती है. उसके पास पहले से लिस्टिंग हिस्ट्री होती है. लिस्टेड शॉप होता है तथा प्राइस वॉल्यूम डाटा होता है। एफ.पी.ओ. के अन्तर्गत यदि निवेश करना हो तो उस कम्पनी के पिछले 5-6 महीनों की प्राइस हिस्ट्री अवश्य देख लें क्योकि कुछ कम्पनिया आवश्यकतानुसार प्राइस का मैन्यूपोलेशन करती है। जैसे- यदि उसे डिस्काउंट देना है तो पहले वह अपने प्राइस बढ़ा देती है तथा इश्यू आने के बाद धीरे-धीरे प्राइस नार्मल हो जाता है यानी कि अपनी सही स्थिति में आ जाता है। प्री-आई.पी.ओ. की कोई मार्केट नहीं होती है, उसकी मार्केट डेवलेप होती है लिस्टिंग के बाद।

कोई कम्पनी आई०पी०ओ० क्यों लाती है ? 

□ आई०पी०ओ० का मुख्य उद्देश्य होता है किसी कम्पनी को एक्सप्लेन करना। कोई प्रमोटर है और वह ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट लगाना चाह रहा है या फिर कोई दूसरा नया प्रोजेक्ट लाना चाह रहा है तो वह आई०पी०ओ० लेकर आयेगा। जैसे - रिलायस ने रिफाइनरी लगाने की योजना बनाई तो वह आई०पी०ओ० लेकर आया। कोई एग्जिस्टिंग कम्पनी है और वह अपना आपरेशन एक्सप्लेन करना चाहती है, उसे पैसा चाहिये और इसके लिये वह आई०पी०ओ० लेकर आयेगी। डायवर्सीफाई हेतु भी आई०पी०ओ० लाया जाता है। जैसे- आप ए प्रोडक्ट बना रहे है और बी प्रोडक्ट में जाना चाहते है तो उसके लिये जो फाइनेन्शिग चाहिये उसके लिये आप आई०पी०ओ० ला सकते हैं।

 □ इधर मार्केट में एक नया ट्रेड विकसित हुआ है। कुछ कम्पनिया नई कम्पनिया खरीदने के लिये भी आई०पी०ओ० लाने लगी हैं। कुछ कम्पनियों के पास पैसे की दरकार नहीं होती है लेकिन उसे मार्केट वैल्यू चाहिये। इसलिये भी वह

www.maindsportsteams.comwww.maindsportsteams.com

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट