शेयर बाजार में शेयर क्या होता है

 






क्या होता है शेयर ? शेयर कम्पनियों द्वारा निदेशकों को दिया जाने वाला एक ऐसा स्वामित्व होता है जो उसके द्वारा किय गये निवाश के आधार पर डेविडेन्ड पाने का अधिकार दिलाता है। शेयर दो प्रकार के होते है -

 1. प्रिफेन्स शेयर 

2. इक्विटी शेयर

प्रिफ्रेन्स शेयर- यद्यपि ज्यादा फायदेमंद नहीं माना जाता इसमें ओनरशिप नहीं होता, रिस्क नहीं होता और कैपटल एप्रीसीएशन का स्कोप भी नहीं होता इसलिये यह शेयर निवेशकों की नजर में अत्यधिक लोकप्रिय नहीं है। इक्विटी शेयर- यह एक प्रकार का रिस्क अटैच ओनरशिप इन्स्ट्रूमेन्ट है। इसका मतलब यह है कि आपको कम्पनी की मिलकियत मिलती है मगर उसके साथ रिस्क भी है। जैसे मानिये कि-कम्पनी बहुत अच्छा कर रही है तो आपकी जो मूल रकम है जो मुख्यतया 10 रूपये प्रति शेयर रहती है वह बढ़कर 100 रूपये, 500 रूपये या फिर 1000 रूपये भी हो सकती है। वहीं आपने जो 10 रूपये लगाये हैं वह पूर्णरूप से खत्म भी हो सकती है। इक्विटी शेयर शेयर होल्डर के फायदे - सालाना हिसाब-किताब हर साल मिलेगा। मुनाफे पर डेविडेन्ड का हक होगा। बोनस शेयर भी प्राप्त होगा। ग्रोथ प्लान पर राइट्स इश्यू के हकदार होंगे। कैसे करें शुरूआत ? सबसे पहले शेयर ब्रोकर के पास ब्रोकिंग एकाउंट खोलें।

फिर डिपॉजिटरी पार्टिसिपेन्ट के पास जाकर डीमेट एकाउंट खोलें। ■ इसके साथ ही एक बैंक एकाउंट होना भी आवश्यक है। इससे क्या होगा ? ब्रोकिंग एकाउंट से आप शेयरों का खरीद-फरोख्त करेंगे। ■ डीमेट एकाउंट से आपके शेयरों का इन-आउट मूवमेन्ट होगा। और बैंक एकाउंट के माध्यम से फण्ड का इन-आउट मूवमेन्ट होगा। ध्यान दें - ■ शेयरों की खरीद-फरोख्त हेतु न्यूनतम् उम्र 18 वर्ष है। ■ 18 वर्ष से कम उम्र में अभिभावक की मजूरी आवश्यक है।

निवेश के खर्चें 

ब्रोकरेज तीन प्रकार के होते हैं - □ डिलेवरी बेस ब्रोकरेज - कारोबार शुरू करते समय ब्रोकर को देना होता है, जो ० प्रतिशत से 5.1 प्रतिशत तक होता है।

इंट्रा डे यह स्क्वायर ऑफ ब्रोकरेज है जो 01 प्रतिशत से 0.2 प्रतिशत तक होता है। एफ एण्ड ओ इसका मतलब है फ्यूचर एण्ड आपान जिसके अन्तर्गत 0.05 प्रतिशत से 0.1 प्रतिशत सका निर्धारित होता है। निवेश के खर्चे एस०टी०टी० (सिक्योरिटी ट्राजेक्शन टैक्स) - - डिलेवरी कारोबार- 0.125 प्रतिशत इंट्रा डे - 0.025 प्रतिशत □ एफ एण्ड ओ - 0.017 प्रतिशत नोटः इसके अतिरिक्त डिपॉजिटरी पार्टिसिपेन्ट फीस होती है। शेयर खरीद-फरोख्त कैपिटल गेन्स टैक्स एक साल से ज्यादा अवधि के निवेश पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं। एक साल से कम अवधि के निवेश पर शार्टटर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा।


फायदे पर 10 प्रतिशत शार्टटर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का प्रावधान है। कैसा हो आपका पोर्टफोलियो ? फण्डामेन्टली अच्छी कम्पनियों का भयल करें। 20 से 30 कम्पनियों से ज्यादा में निवेश करे। एक कम्पनी के शेयर करते रहे। कम्पनी में निवेश अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर्सका दमन निदेश को प्राथमिकता दें। हर कम्पनी के अलग-अलग जिसका बारीकी से आकर उसके अनुरूप निवेश किया जाये। पोर्टफोलियो कब बदलना बेहतर होगा? उम्मीद के हिसाब से। इण्डस्ट्री या कम्पनी पर बात हो। [निवेशित कम्पनी हो। होने की उम्मीद एनालिसिस दो प्रकार का होता है - 1. फण्डामेन्टल एनालिसिस 2. टेक्निकल एनालिसिस

क्या है फण्डामेन्टल एनालिसिस ? कर वर्तमान और भविष्य की परिस्थितियों का प्रभाव। 2. हर सेक्टर की अलग वैल्यूएशन। फण्डामेन्टल एनालिसिस क्या रखें ध्यान ? □ पहले कम्पनी की सलाना रिपोर्ट देखे। □ उसकी क्षमता और उसके भविष्य का आकलन करे। □ कम्पनी के फाइनेन्शियल पर नजर रखें। □ ग्रोथ पर नजर रखें। □ अन्य इण्डस्ट्री से तुलना करें। कैसा है मैनेजमेन्ट ? इसकी गहन पड़ताल करें। कैसे चुनें कम्पनी ? 1. बड़ी कम्पनी ज्यादा भरोसे के लायक होती है, इसलिये बडी कम्पनी को प्राथमिकता की श्रेणी में रखें। 2. मंहगी वैल्यूएशन वाली कम्पनी से बचें। किन-किन चीजों से पड़ता है शेयरों के उतार-चढ़ाव पर असर ? □ सरकारी नीतियों में परिवर्तन के कारण। नई नीतियों के कारण। मुद्रास्फीति के कारण।

अतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के कारण। कम्पनी के फाइनेन्शियल पर क्या ध्यान दें ? किलने मुनाफे में कम्पनी। कम्पनी की बिक्री कैसी। कॅपिटल पर रिटर्न कैसा। ई०पी०एस० (अर्निंग पर शेयर) यानी प्रति शेयर क्या कमाई की है कम्पनी ने। पी/ई प्राइज टू अर्निंग रेशियो किसी कम्पनी को आंकने के लिये प्राइज टू अर्निंग रेशियो का ध्यान रखाना बेहद जरूरी है। □ अच्छा मैनेजमेंट कम्पनी के लिये फायदेमंद।

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